Monika garg

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022# क्या यही प्यार है # उपन्यास लेखन प्रतियोगिता# भाग(14))

गतांक से आगे:-


जोगिंदर किताब मे इतना खोया हुआ था कि उसे ये भी पता नही चला कि कब से नरेंद्र उसे आवाज लगा रहा था।उसे तो किताब की हर एक बात ऐसे लग रही थी जैसे वो सब उसी के साथ घटित हुआ हो।

नरेंद्र ने जब उसे पास आकर झिंझोडा,"क्या कर रहा है तू ? कब से आवाज दे रहा हूं ।ऐसा क्या है इस किताब में जो तुझे आस पास क्या हो रहा है इसका तनिक भी भान नही रहा।"

जोगिंदर एक दम से जैसे हड़बड़ा कर उठा ऐसे लग रहा था जैसे वो जो काल्पनिक फिल्म देख रहा था उसको उसने पहले भी जीया हुआ है।वह एकदम से बौखला कर बोला,"यार पता नहीं क्या है इस किताब मे । पढ़ते पढ़ते एक अलग ही दुनिया मे चला गया था ।समय का पता ही नही चला ।बडी ही रोचक कहानी है ।"

जोगिंदर ये बात छुपा गया किउसे ऐसे लगता है ये सब उसी के साथ घटित हुआ है  नही तो फिर नरेंद्र की हंसी का पात्र बनना पड़ता 

नरेंद्र बोला,"चल छोड़ ये किताब ।भाई घड़ी देखी है सात बज गये है खाने का समय हो गया है ।अगर देरी से पहुंचे तो खाना भी नसीब नही होगा ।ये तो शुक्र है मै समय से कमल और नोबीन के कमरे से आ गया वरना आज तो भूखे पेट सोना पड़ता।"

नरेंद्र बैले ही जा रहा था पर जोगिंदर सुन ही कहां रहा था वो तो सूरजसेन ओर चंचला के प्यार का क्या हश्र हुआ यही सोचने मे लगा था । नरेंद्र ने नोबीन के घर से आये रसगुल्लों की तारीफ की जो उसने खिलाये थे जब वह उसके कमरे मे गया था।पर जोगिंदर ने कुछ नही सुना ।वह यंत्रवत उठा ओर कुर्ता पहनकर चल दिया नरेंद्र के साथ मेस की ओर।

आज खाने मे दाल भात,आलू का झोल,और पूरियां थी ।आज खाना अच्छा बना था लेकिन फिर भी जोगिंदर ने थोड़ा सा ही खाया ।उसे तो जल्दी थी कब वह अपने कमरे मे पहुंचे ओर पढ़ें कि दरवाजे पर कौन था जिससे चंचला एकदम चौंक पड़ी थी।

नरेंद्र आज मजे लेकर खाना खा रहा था ।साथ मे नोबीन और कमल भी थे । जोगिंदर का जब खाना समाप्त हो गया तो उसने देखा नरेंद्र मस्ती के मूड मे है शायद ये देर लगाए गा इसलिए वह उन तीनों को ये कह कर कि उसे वाशरूम जाना है । होस्टल में अपने कमरे की ओर चला आया।

वह जैसे ही अपने कमरे के पास पहुंचा उसे ऐसे लगा जैसे गलियारे मे उसके साथ कोई चल रहा है लेकिन फिर सोचा शायद वहम हो पर वो वहम नही था एक परछाईं उसका पीछा कर रही थी वह जब खाना खा रहा था तो वह दूर खड़ी उसे निहार रही थी और जैसे ही वो गलियारे से होते हुए अपने कमरें की ओर गया वो साथ साथ थी। जोगिंदर जैसे ही कमरे का ताला खोलने लगा उसकी नजर अचानक से तेरह नंबर कमरे पर चली गयी ।अरे ये क्या उसमे से तो प्रकाश बाहर आ रहा था जैसे बहुत सारे दिए एक साथ जल रहे हो । जोगिंदर को उत्सुकता हुई और वह उस दरवाजे के आगे जाकर जैसे ही खड़ा हुआ दरवाजा अपने आप खुल गया और उसने देखा नीचे जमीन फर दियो की रोशनी हो रही थी उनसे लिखा हुआ था "सुस्वागतम"

जोगिंदर ने देखा उन दियों के पास एक लड़की बैठी है वह लगातार उसे ही देखे जा रही थी ।वह उसकी आंखों में खोता चला गया।पता नही एक गहन उदासी सी थी उसकी आंखों मे ,एक सूनापन ऐसे लग रहा था जैसे सदियों से इंतजार कर रही है वो आंखें।

वह सुंदरता की मूरत थी ,बस एकटक जोगिंदर को देखे जा रही थी ।मांग का सिंदूर तै ये बता रहा था कि किसी की ब्याहता है पर जोगिंदर को क्यों वो अपनी अपनी सी लग रही थी।वह एकटक उसे ही देखें जा रहा था।

  तभी जोगिंदर को किसी ने आवाज दी

"क्यों भाई आज भूत से मुलाकात करने का इरादा है क्या?" पीछे कमल खड़ा उसे पुकार रहा था ।जैसे ही जोगिंदर ने पीछे मुड़कर कमल को देखा तो वह उसी से कह रहा था "क्या कर रहे हो यहां?"

जोगिंदर ने कमल की तरफ मुंह किये ही कहा,"क्या तुम्हें वो लड़की दिखाई नही दी जो दियों के पास बैठी है ।"

इतने मे नरेंद्र भी आ गया था उसने जोगिंदर को ऐसे तेरह नंबर कमरे के दरवाजे के आगे खड़े देखा और वह दरवाजे की तरफ इशारा करके किसी लड़की का जिक्र कर रहा था तो दौड़ कर उसके पास आया और बोला,"कहां है लड़की? मुझे तो कोई लड़की दिखाई नही दे रही है ।"

जोगिंदर ने जैसे ही तेरह नंबर कमरे की तरफ मुंह किया तो हैरान रह गया वहां कोई भी नही था 

उसका सिर घुमने लगा वह बोला,"ऐसे कैसे हो सकता है वो लड़की अभी तो यहां दियों के पास बैठी थी उसने दियों से सुस्वागतम लिखा हुआ था ।अब कहां चली गयी?"

नरेंद्र उसे पकड़ कर कमरे मे ले गया ।कमल ने जब पूछा कि क्या हो गया है इसे तो वह बोला,"कुछ नही थोड़ी तबीयत खराब है शायद । ठीक से सो नही पाया है अभी नया नया माहौल है ना इसलिए।"

कमल और नोबीन उसका ख्याल रखने को बोलकर अपने कमरे मे चले गये 

नरेंद्र ने कमरे मे आकर जोगिंदर को डांटकर बोला,"क्या यार ।कल से लड़की लड़की लगा रखा है ।शायद रमनी का बिछोह तुझ से सहन नही हो रहा है जब ही तुझे हर जगह लड़की ही लड़की दिखाई दे रही है ।"

जोगिंदर हकलाते हुए बोला,"नही यार सच मे वहां एक लाल कपड़ों मे लड़की बैठी थी । दुल्हन का वेश लग रहा था उसका । बहुत सी सुंदर थी वो….वो रमनी नही थी।"

नरेंद्र ने उसे सुराही से एक गिलास में पानी निकाल कर दिया और उसे शांत होने को कहा।

थोड़ी देर मे जोगिंदर शांत हो गया दोनों ने थोड़ी देर यहां वहां की बातें की फिर दोनों सो गये ।

नरेंद्र तो थोड़ी ही देर मे खर्राटे मारने लगा पर जोगिंदर की आंखों से नींद कोसों दूर थी उसे फिर से किताब का ख्याल आ गया उसने  टेबल लैंप जलाया और अपने पलंग के बिल्कुल पास रखकर किताब पढ़ने लगा।

' चंचला का दिल एक दम घबरा गया कि ये कौन है राजकुमार तो अभी अभी कक्ष से बाहर गये है फिर मन मे सोचा हो सकता है राजकुमार कुछ बताने आये हो वह तुरंत पलंग से उठी और उसने दरवाजा खोल दिया लेकिन दरवाजे पर जो खड़ा था उसे देखकर चंचला घबरा गयी।

(क्रमशः)


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8 Comments

shweta soni

20-Sep-2022 12:36 AM

Bahut khub 👌

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Priyanka Rani

19-Sep-2022 08:43 PM

Beautiful

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Barsha🖤👑

19-Sep-2022 06:00 PM

Beautiful

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